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महाकाल की नगरी के इस मंदिर में मिलती है मंगल दोष से मुक्ति, होता है भात से श्रृंगार!!

मंगलनाथ मंदिर का पौराणिक इतिहास.....!

Sawan 2024:

मत्स्य पुराण के अनुसार, मंगलनाथ में ही मंगल ग्रह का जन्म हुआ था. कथा के अनुसार, अंधकासुर नामक दैत्य को भगवान शिव का वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त की बूंदों से सैकड़ों दैत्य जन्म लेंगे. इसी वरदान के चलते अंधकासुर पृथ्वी पर उत्पात मचाने लगा। इस पर सभी ने भगवान शिव से प्रार्थना की.अंधकासुर के अत्याचार से सभी को मुक्त करने के लिए उससे युद्ध करने का निर्णय लिया. दोनों के बीच भयानक युद्ध हुआ. इस युद्ध में भगवान शिव का पसीना बहने लगा जिसकी गर्मी से धरती फट गई और उससे मंगल का जन्म हुआ. उत्पन्न होते ही मंगल ग्रह ने दैत्य के शरीर से निकली रक्त की बूंदों को अपने अंदर सोख लिया. कहां जाता है कि यही वजह से मंगल का रंग लाल माना गया है.

Mangalnath Temple Ujjain: मंगलनाथ का खजाना भरा, हुई नौ करोड़ 89 लाख रुपये  की आय - Mangalnath Temple Ujjain Income of Rs 9 crore 89 lakh in Mangalnath  temple in last one year

वैसे तो पूरी दुनिया में यह मंदिर मंगलनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है लेकिन इस मंदिर में भगवान शिव ही मंगलनाथ के रूप में विराजमान हैं. मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव,एक शिवलिंग के रूप में स्थापित हैं. वैसे तो सम्पूर्ण उज्जैन ही सनातन ज्ञान का एक महान केंद्र है लेकिन महाकाल मंदिर और मंगलनाथ दोनों ही खगोल अध्ययन के केंद्र भी माने गए हैं.मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में किसी भी तरह के अमंगल को मंगल में बदलने की सामर्थ्य है. यहां देश-विदेश से लोग अपनी कुंडली के मंगल दोष मुक्ति पाने के लिए आते हैं. यहां मंगल की शांति और दोषों से मुक्ति पाने के लिए पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है.मंगलनाथ मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहां होने वाली भात पूजा इस विशेष पूजा के दौरान मंदिर में स्थापित भगवान शिव का भात श्रृंगार किया जाता है. कुंडली में मंगल दोष के निवारण के लिए भक्तों के द्वारा मंदिर में भात पूजा कराई जाती है. अत्यंत पवित्र क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित होने के कारण इस मंदिर का और यह होने वाली पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है. इसके अलावा इस मंदिर में नवग्रह पूजा भी संपन्न होती है.

 

 

 

 

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