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सोशल मीडिया पर अपनी दबंग कार्यशैली के लिए बेहद लोकप्रिय प्रदेश की चर्चित IAS ऑफिसर किंजल सिंह एक बार फिर से चर्चाओं में हैं।

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सोशल मीडिया पर अपनी दबंग कार्यशैली के लिए बेहद लोकप्रिय प्रदेश की चर्चित IAS ऑफिसर किंजल सिंह एक बार फिर से चर्चाओं में हैं।

इस बार मुद्दा चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक पद पर IAS की नियमित तैनाती के लिए कल कैबिनेट बैठक में पास हुए नियमावली में बदलाव प्रस्ताव से जुड़ा है। मार्च 2023 में इस पद पर IAS किंजल सिंह की नियुक्ति हुई थी लेकिन उनकी नियुक्ति के दो महीने के अंदर ही इस पर तब विवाद शुरू हो गया जब हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आईएएस किंजल सिंह को महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के पद से हटाने की मांग पर सरकार से जवाब तलब करने के साथ ही किंजल सिंह को भी नोटिस जारी कर दिया।

हालांकि ये विवाद किंजल सिंह की नियुक्ति से जुड़ा ना होकर एक IAS की नियुक्ति से जुड़ा था लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया पर बेहद चर्चित किंजल सिंह केवल उस पद पर तैनात होने की वजह से खबरों की सुर्खियों में आ गयी।

दरअसल ये विवाद इसलिए हुआ क्यूंकि प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक पद पर नियमावली के तहत वरिष्ठ प्रधानाचार्य नियुक्त करने की मांग काफी दिनों से चल रही है। वर्ष 1995 में पहली बार DGME पद पर IAS एस.के.खरे को तैनात किया गया था। इस फैसले के खिलाफ प्रधानाचार्यों ने कोर्ट में गुहार लगाई। कोर्ट के आदेश पर इस पद से IAS को हटाना पड़ा था। इसके बाद इस पद पर कार्यवाहक के रूप में कभी प्रधानाचार्य तो कभी IAS कार्य करते रहे। इस विवाद को ही केंद्र में रखते हुए इसी साल मई माह में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई और इसके फलस्वरूप कोर्ट ने राज्य सरकार, चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव, वर्तमान DGME किंजल सिंह और UPPSC प्रयागराज के चेयरमैन को नोटिस जारी किया।

विवाद लम्बा खिंचने पर न केवल सरकार की किरकिरी होती बल्कि पद को लेकर उहापोह की स्थिति यूँ ही बनी रहती लेकिन सूत्र बताते हैं कि इसी बीच IAS किंजल सिंह अपने ऊपर के लोगों को ये बात को समझाने में सफल रही कि ये विषय इतना गंभीर क्यूँ है।

अब इस पद पर नियमित IAS की तैनाती के लिए उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा सेवा नियमावली 2023 तैयार कर दी गई है और कल हुई कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल गई है। इस फैसले के बाद अब महानिदेशक पद पर नियमित तौर पर IAS तैनात किया जा सकेगा।

शासन सत्ता से जुड़े लोगों का मानना है कि इस फैसले ने ब्यूरोक्रेसी में किंजल सिंह के रुतबे को और मजबूत किया है।

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