राहुल के राजस्थान पहुंचने से पहले होगी पायलट की ताजपोशी? नया पैंतरा आजमा रहे समर्थक

हाड़ौती क्षेत्र के कांग्रेस नेताओं को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का करीबी माना जाता है। उन्होंने पार्टी आलाकमान से राजस्थान में नेतृत्व के मुद्दे को हल करने का आग्रह किया है।
राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा दिसंबर के पहले सप्ताह में राजस्थान में प्रवेश करेगी। कांग्रेस शासित राज्य में पार्टी के अंदर काफी उथल-पुथल मची हुई है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट समर्थक उन्हें राहुल गांधी के राजस्थान पहुंचने से पहले मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं। दरअसल राहुल की यात्रा का सबसे बड़ा हिस्सा राजस्थान में हाड़ौती क्षेत्र में रहेगा। हाड़ौती क्षेत्र के कांग्रेस नेताओं को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का करीबी माना जाता है। उन्होंने पार्टी आलाकमान से राजस्थान में नेतृत्व के मुद्दे को हल करने का आग्रह किया है।
पायलट समर्थक नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो यात्रा दिसंबर के पहले सप्ताह में हड़ौती से गुजरे उससे पहले इस विवाद का हल हो जाए। पिछले सप्ताह झालावाड़, कोटा और बूंदी में पार्टी नेताओं ने अपने जिलों में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और मांग करते हुए कहा कि राज्य के नेतृत्व सहित सभी लंबित मुद्दों को पार्टी विधायकों से एक-एक कर बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए।
‘वन-टू-वन चर्चा कर सुलझाएं विवाद’
बूंदी के पूर्व जिला प्रमुख राकेश बोयात, बूंदी अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष सत्येश शर्मा और अन्य ने एक संयुक्त बयान में कहा: “जहां भारत जोड़ो यात्रा को लेकर उत्साह है, वहीं राज्य कांग्रेस इकाई को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। कांग्रेस कार्यकर्ता और राज्य के लोग विधायकों के साथ वन-टू-वन चर्चा के माध्यम से एक त्वरित निर्णय (मुख्यमंत्री पर) की प्रतीक्षा कर रहे हैं ताकि चुनावी वर्ष में हम जीत के लिए एकजुट होकर काम कर सकें।
उन्होंने कहा: “भारत जोड़ो यात्रा के राज्य में प्रवेश करने से पहले राजस्थान में लंबित मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेना उचित होगा, ताकि पार्टी में भ्रम की स्थिति समाप्त हो सके … ज्यादा देरी से पार्टी की संभावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।” पत्रकारों से बात करते हुए बोयत ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि विधायकों के साथ जल्द ही चर्चा होगी।
पायलट को सीएम बनाएं कभी सत्ता में आएंगे- समर्थक
कोटा ग्रामीण के लिए पार्टी के जिलाध्यक्ष सरोज मीणा ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, “कांग्रेस कार्यकर्ता पार्टी आलाकमान की ओर देख रहे हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में केवल 12 महीने शेष हैं – इसलिए आलाकमान को जो भी फैसला करना है, जल्दी करे। आलाकमान को विधायकों से व्यक्तिगत रूप से बात करनी चाहिए और जिसे वे चाहते हैं उसे सीएम बनाएं।” पायलट की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस उनके ही अधीन सत्ता में आएगी। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आलोचना की। उन्होंने कहा, “मैं पिछले चार सालों से (उनसे) समय मांग रहा हूं, फिर भी मुझे अब तक नहीं मिला है।”
झालावाड़ में, मनोहर थाना के पूर्व विधायक कैलाश मीणा, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष मुबारिक मंसूरी, पार्टी नेता सुरेश गुर्जर और अन्य ने एक प्रेस बैठक की। उन्होंने भी आलाकमान से इसी तरह की मांग की। गुर्जर ने कहा, ‘यात्रा के यहां प्रवेश करने से पहले राज्य की राजनीति में अनिश्चितता का समाधान किया जाना चाहिए। हम आलाकमान से मुद्दों को जल्दी हल करने के लिए कह रहे हैं।” ये बयानबाजी ऐसे समय में आ रही है, जब पायलट ने खुद केंद्रीय नेतृत्व से “राजस्थान में अनिर्णय के माहौल को समाप्त करने” के लिए कहा था।
राज्य में विधानसभा चुनाव होने में सिर्फ एक साल बाकी है, ऐसे में पायलट के समर्थकों को लगता है कि उन्हें सीएम के रूप में नियुक्त करने में और देरी नहीं होनी चाहिए। उनका मानना है कि यह 25 सितंबर को ही हो जाना चाहिए था। उस दिन, लगभग 90 पार्टी विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक को छोड़ दिया था। इस बैठक में कहा जाता है कि पायलट को सीएम बनाने का प्रस्ताव रखा जाना था। क्योंकि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए तैयार थे। हालाँकि, गहलोत के वफादारों ने विद्रोह कर दिया और सीएलपी की बैठक छोड़ दी थी। उन्होंने राजस्थान के अध्यक्ष सी पी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।