मणिपुर में जनता परेशान, सरकार क्यों है शांत ?
मणिपुर के हालात गंभीर, सेना–जनता सब परेशान !

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी को युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर पिछले 53 दिनों से हिंसा जारी है। शनिवार को ईस्ट इंफाल में सेना ने ऑपरेशन चलाकर प्रतिबंधित संगठन कांगलेई यावोल कन्ना लुप (KYKL) के 12 कैडर्स को पकड़ा था। लेकिन सैकड़ों महिलाओं के विरोध के बाद इन्हें छोड़ना पड़ा।
डिफेंस PRO ने न्यूज एजेंसी को बताया कि सेना ने खुफिया सूचना के बाद इंफाल पूर्व के इथम गांव (एंड्रो से 6 किमी पूर्व) में सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। लोगों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी। सुरक्षा बलों ने यहां से भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया और KYKL के 12 कैडर्स को पकड़ा।
लेकिन 1200 से 1500 लोगों की भीड़ ने सुरक्षाबलों को घेर लिया। इस भीड़ का नेतृत्व महिलाएं और कुछ स्थानीय नेता कर रहे थे। ये लोग KYKL के 12 कैडर्स को छोड़ने की मांग कर रहे थे। भीड़ को कोई नुकसान न हो इसे देखते हुए सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन रोक दिया और KYKL के 12 कैडर्स को छोड़ दिया।
भीड़ ने खाद्य मंत्री का गोदाम फूंका, वाहनों में आग लगाई
भीड़ ने शनिवार को राज्य सरकार के खाद्य मंत्री एल सुसींद्रो मैतेई के एक निजी गोदाम और वहां खड़े वाहनों को आग लगा दी थी। हमला करने आई भीड़ ने मंत्री के घर में घुसने और इमारत को आग लगाने की भी कोशिश की, लेकिन सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले दागकर भीड़ को तितर-बितर किया।
खाद्य मंत्री एल सुसींद्रो मैतेई ने पिछले हफ्ते अपने घर के बाहर एक बॉक्स • लगाया था और हिंसा में शामिल लोगों से अपील की थी कि वे अपना हथियार इसमें जमा कर दें।
राज्य में जातीय हिंसा में 120 लोग मारे गए, 3 हजार से ज्यादा घायल मणिपुर में जातीय हिंसा में अब तक 120 लोग मारे जा चुके हैं। 3 हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं। शनिवार सर्वदलीय बैठक में गृह मंत्री अमित शाह ने बताया को राज्य की स्थिति संभालने के लिए 40 IPS अधिकारी और 36 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। 20 मेडिकल टीमें भेजी गई हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री ने शनिवार को मणिपुर को लेकर हुई सर्वदलीय बैठक में सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी. वहीं विपक्षी दलों ने मांग की कि ज़मीनी स्थिति की पूरी जानकारी लेने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर भेजा जाना चाहिए.
गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. वो हर दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्थिति की जानकारी दे रहे हैं.
बैठक के बाद कांग्रेस ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को तत्काल प्रभाव से हटाने समेत आठ मांगें की.
गृह मंत्री के बुलावे पर हुई सर्वदलीय बैठक में बीजेपी के अलावा कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, एआईएडीएमके, आम आदमी पार्टी और कम्यूनिस्ट पार्टी के नेताओं से शिरकत की.
बैठक में बीजेपी के पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन, मेघालय के मुख्यमंत्री और एनपीपी के कॉनराड सिंह, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के नेता और सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेस सिंह तमांग, असम गण परिषद के बीरेंद्र प्रसाद वैश्य, डीएमके के तिरुची सिंह, एआईएडीएमके के एम थंबी दुरई, बीजेडी के पिनाकी मिश्रा, आम आदमी पार्टी संजय सिंह, आरजेडी के मनोज झा और शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी शामिल हुए.
मणिपुर में हिंसा लगातार जारी है। सुरक्षाबलों और गुटों के बीच हिंसक झड़पें हो रही हैं। अब तक कई जाने जा चुकी हैं। मैतेई बनाम कुकी की लड़ाई अब सेना बनाम मैतेई और कुकी गुटों के बीच हो गई है। शनिवार को इम्फाल पूर्वी जिले में जो हुआ वह कंपा देने वाला था। उग्र भीड़ ने सुरक्षा बलों को घेर लिया। नतीजा यह हुआ कि सेना को पीछे हटना पड़ा। अगर ऐसा नहीं होता तो वहां लाशों के ढेर बिछ गए होते।
सेना के प्रवक्ता ने कहा, ऑपरेशनल कमांडर की ओर से परिपक्व निर्णय भारतीय सेना के मानवीय चेहरे को प्रदर्शित करता है, जो मणिपुर में चल रही अशांति के दौरान किसी भी अतिरिक्त क्षति से बचने के लिए सभी प्रयास कर रहा है। सेना ने कहा कि वह नहीं चाहते कि मणिपुर के हालात बिगड़ें। इतने संवेदनशील समय पर सूझबूझ से ही काम लिया जा रहा है। एक रक्षा बयान में कहा गया है कि भारतीय सेना मणिपुर के लोगों से शांति और स्थिरता लाने के लिए कानून और व्यवस्था बनाए रखने में सुरक्षा बलों की सहायता करने की अपील करती है।